भूमिका: बिहार चुनाव 2025 का महत्व
भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का विशेष स्थान है। इस बार का चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन या सरकार चुनने का मामला नहीं, बल्कि राज्य की सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक दिशा तय करने वाली प्रक्रिया है। बिहार ने पिछले दो दशकों में बड़े बदलाव देखे हैं—लम्बे समय के बाद राजनीतिक स्थिरता, मूलभूत विकास, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी सेवाओं में सुधार, और अब, युवा व किसान वर्ग के मुद्दे सामने हैं। 2025 में यह चुनाव पिछले सभी चुनावों से अलग कई मायनों में निर्णायक बन गया है।
also read : 8th pay commission 2026

चुनाव कार्यक्रम, तारीखें और प्रमुख जानकारी
सरकार का कार्यकाल एवं चुनावी शेड्यूल
- 243 सीटों वाली मौजूदा बिहार विधानसभा चुनाव का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है।
- चुनाव आयोग ने ये चुनाव दो चरणों में कराने का निर्णय लिया है:
- मतगणना के दिन ही नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
चुनावों के सफल संचालन हेतु इस बार चुनाव आयोग ने कई नये उपाय भी लागू किए हैं जिनमें वोटर लिस्ट सुधार अभियान (SIR), पोलिंग बूथों पर कैपिंग, फोटोयुक्त मतदाता स्लिप्स एवं रंगीन सीरियल नंबर जैसी व्यवस्थाएँ शामिल हैं।
प्रमुख राजनीतिक गठबंधन और दावेदार
NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस)
- नेतृत्व: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (जेडीयू)
- सहयोगी दल: बीजेपी, चिराग पासवान की एलजेपी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM), वीआईपी पार्टी
- मौजूदा विधानसभा में कुल सीटें: 131 में, बीजेपी 80, जेडीयू 45, HAM(S) 4, 2 निर्दलीय
महागठबंधन (INDIA bloc)
- नेतृत्व: तेजस्वी यादव (आरजेडी)
- सहयोगी दल: कांग्रेस, वामदल (सीपीआई, सीपीएम, CPI ML), विकां पाटी
- वर्तमान विधानसभा स्थितियां: आरजेडी 77, कांग्रेस 19, सीपीआई(माले) 11, सीपीआई 2, सीपीएम 2
जन सुराज पार्टी (Prashant Kishor)
- नेतृत्व: प्रशांत किशोर, राजनीति में नया लेकिन चुनावी रणनीति में बड़ा नाम
- पार्टी की खास पहल: सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान, उम्मीदवारों के चयन के लिए यू.एस.-स्टाइल प्राइमरी, बेदाग छवि, नई राजनीति पर ज़ोर
- पंचवर्षीय ‘बिहार बदलाव यात्रा’, 5,000+ किमी पदयात्रा कर गांव-गांव जन संवाद
उम्मीदवार और सीट बंटवारा
- महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे पर बातचीत खत्म, किसी बड़े विवाद की खबर नहीं
- एनडीए में 50-50 सीट बंटवारे की चर्चा; चिराग पासवान को 25 सीटें ऑफर
- जन सुराज सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी, अधिकांश नए चेहरे

चुनावी मुद्दे
1. बेरोजगारी एवं युवा
- बिहार के युवाओं के लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
- लगभग हर दल ने बड़े पैमाने पर नौकरियों की घोषणा कर रखी है; तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर का चुनाव प्रचार इसी के इर्द-गिर्द घूम रहा है।
2. जातिगत गणित और सामाजिक न्याय
- समाज के प्रत्येक वर्ग को आरक्षण और जातिगत गणना पर बड़ी बहस जारी।
- सभी दलों ने जातिगत जनगणना की मांग उठाई है, ताकि सामाजिक असमानता दूर की जा सके।
3. पलायन और विकास
- लाखों बिहारी युवा अन्य राज्यों में पलायन करते हैं, इसे रोकना एक प्रमुख चुनावी वादा।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि एवं बुनियादी सुविधाओं में सुधार को लेकर समग्र चर्चा।
4. सुशासन व भ्रष्टाचार
- एनडीए सुशासन, कानून-व्यवस्था व विकास के रिकॉर्ड का हवाला दे रहा है
- विपक्ष नीतीश सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है
5. महिला सुरक्षा एवं जागरूकता
चुनावी संघर्ष का विश्लेषण
एनडीए की मजबूती और कमजोरियाँ
- नीतीश कुमार के कुशल प्रशासन व स्थिरता का लंबा रिकॉर्ड—सुशासन बाबू की छवि आज भी है.
- भाजपा की सांगठनिक मजबूती, जातिगत समीकरण में सवर्ण व OBC का संतुलन
- कमजोरियाँ: एंटी-इनकम्बेंसी (विरोध की लहर), पिछले दो दशकों से सत्ता में रहने के कारण थकावट की चर्चा
महागठबंधन का बढ़ता आत्मविश्वास
- अगड़ी-पिछड़ी-युवा-मुस्लिम वोट बैंक को साधने की नीति
- तेजस्वी यादव की युवा अपील व उनके द्वारा उठाए गए युवाओं के रोजगार के मुद्दे
- कांग्रेस व वामदलों का समर्थन और किसान/शिक्षक वर्ग तक पहुंच
- कमजोरियाँ: आपसी तालमेल कभी-कभी सवालों के घेरे में, पिछले कार्यकाल की यादें और राष्ट्रीय स्तर पर सगठन कमजोर
जन सुराज – तीसरी शक्ति?
- प्रशांत किशोर की क्रांति बनाम पारंपरिक राजनीति!
- गांव-गांव सीधा संवाद, नये उम्मीदवार, भ्रष्टाचार विरोध की नीति
- प्रमुख चुनौती: पुरानी पार्टियों के मजबूत नेटवर्क के सामने खुद को स्थापित करना
मतदाता के मुद्दे और ध्यान केंद्रित क्षेत्र
| प्राथमिक मुद्दे | विस्तार |
|---|---|
| बेरोजगारी | युवाओं के लिए सरकारी व निजी क्षेत्र में रोजगार |
| पलायन | स्थानीय स्तर पर रोज़गार, शिक्षा व उद्योग-संवर्धन |
| शिक्षा व स्वास्थ्य | गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व अस्पताल/स्वास्थ्य सेवाओं की मांग |
| आधारभूत संरचना | सड़क, बिजली, पानी, सिंचाई व संचार विकास |
| जातिगत और सामाजिक न्याय | समता व सशक्तिकरण की मांग, जाति जनगणना |
| महिला सशक्तिकरण | आरक्षण, सुरक्षा व योजनाएँ |
| कृषि संकट/नकली बीज-खाद | किसानों का कर्ज, उपज मूल्य, अनाज खरीद व MSP |
| पंचायत व ग्राम विकास | पंचायती राज में भ्रष्टाचार व स्थानीय विकास |
पिछला चुनाव परिणाम और उससे सबक
2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं थीं। जेडीयू-बीजेपी की ताकत उस समय एकजुट दिखी थी, पर नाराजगी के सुर तब भी दिखे थे। इस बार नये चेहरे, नई पार्टियां और मुद्दे समीकरण बदल सकते हैं।
प्रमुख चेहरे

- नीतीश कुमार (CM, जेडीयू)
- तेजस्वी यादव (नेता, आरजेडी)
- चिराग पासवान (नया समीकरण, LJP[Ram Vilas])
- प्रशांत किशोर (जन सुराज)
जनादेश की शक्ति और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी
बिहार का चुनाव केवल राज्य या केंद्रीय राजनीति का दर्पण नहीं है, बल्कि यह 12 करोड़ जनता के सपनों, समस्याओं और आकांक्षाओं का निर्णय है। मतदाता जाति, धर्म या क्षेत्र से ऊपर उठकर अपने जीवन में बदलाव की सोच से वोट दे तो, लोकतंत्र सार्थक होगा।
निष्कर्ष
इस बार का चुनाव टक्करदार, रोमांचक, नई नीतियों और गहन सामाजिक-आर्थिक विमर्श का चुनाव है। बिहार की जनता बदलाव चाहती है—लेकिन बदलाव किस दिशा में होगा यह 14 नवंबर 2025 को ही तय होगा। बिहार का 2025 चुनाव देश भर के लिए भी संकेत देता है—परम्परा बनाम बदलाव, धर्म-जाति बनाम विकास, और नेतृत्व-प्रबंधन बनाम भागीदारी का संघर्ष।
सोशल मीडिया और जन संवाद
- चुनावी चर्चाओं में WhatsApp ग्रुप, Facebook पेज, Twitter ट्रेंड, और YouTube वीडियो की सक्रियता
- सभी दलों ने डिजिटल चुनावी प्रचार के लिए सशक्त टीमें बनाई हैं
FAQs: बिहार चुनाव 2025
Q1: कितने चरणों में मतदान होगा?
Q2: प्रमुख पार्टियां कौन-कौन सी हैं?
Q3: प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
Q4: मतगणना कब होगी?
- 14 नवम्बर 2025



